18-01-84  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

18 जनवरी - स्मृति दिवस का महत्त्व

दिलबर बापदादा अपने दिलरूबा बच्चो प्रति बोले:-

आज मधुबन वाले बाप मधुबन में बच्चों से मिलने आये हैं।

1. आज अमृतवेले से स्नेही बच्चों के स्नेह के गीत, समान बच्चों के मिलन मनाने के गीत, सम्पर्क में रहने वाले बच्चों के उमंग में आने के उत्साह भरे आवाज़, बांधेली बच्चियों के स्नेह भरे मीठे उल्हाने, कई बच्चों के स्नेह के पुष्प बापदादा के पास पहुँचे। देश-विदेश के बच्चों के समर्थ संकल्पों की श्रेष्ठ प्रतिज्ञायें सभी बापदादा के पास समीप से पहुँची। बापदादा सभी बच्चों के स्नेह के संकल्प और समर्थ संकल्पों का रेसपान्ड कर रहे हैं। ‘‘सदा बापदादा के स्नेही भव’’। ‘‘सदा समर्थ समान भव, सदा उमंग-उत्साह से समीप भव, लगन की अग्नि द्वारा बन्धनमुक्त स्वतन्त्र आत्मा भव’’। बच्चों के बन्धनमुक्त होने के दिन आये कि आये। बच्चों के स्नेह के दिल के आवाज़, कुम्भकरण आत्माओं को अवश्य जगायेंगे। यही बन्धन में डालने वाले, स्वयं प्रभु स्नेह के बन्धन में बंध जायेंगे। बापदादा विशेष बन्धन वाली बच्चियों को शुभ दिन आने की दिल की राहत दे रहे हैं। क्योंकि –

2. आज के विशेष दिन पर विशेष स्नेह के मोती बापदादा के पास पहुँचते हैं। यही स्नेह के मोती श्रेष्ठ हीरा बना देते हैं।

3. आज का दिन समर्थ दिन है।

4. आज का दिन समान बच्चें को ‘तत्-त्वम् के वरदान का दिन है।

5. आज के दिन बापदादा शक्ति सेना को सर्व शक्तियों की विल करता है, विल पावर देते हैं। विल की पावर देते हैं।

6. आज का दिन बाप का बैकबोन बन बच्चों को विश्व के मैदान में आगे रखने का दिन है। बाप अननोन है और बच्चे वेलनोन हैं।

7. आज का दिन ब्रह्मा बाप के कर्मातीत होने का दिन है।

8. तीव्रगति से विश्व-कल्याण, विश्व-परिक्रमा का कार्य आरम्भ होने का दिन है।

9. आज का दिन बच्चों के दर्पण द्वारा बापदादा के प्रख्यात होने का दिन है।

10. जगत के बच्चों को जगत पिता का परिचय देने का दिन है।

11. सर्व बच्चों को अपनी स्थिति, ज्ञान स्तम्भ, शक्ति स्तम्भ, अर्थात् स्तम्भ के समान अचल अडोल बनने की प्रेरणा देने का दिन है। हर बच्चा बाप का यादगार ‘शान्ति स्तम्भ’ है। यह तो स्थूल शान्ति स्थम्भ बनाया है। परन्तु बाप की याद में रहने वाले याद का स्तम्भ, आप चैतन्य सभी बच्चे हो। बापदादा सभी चैतन्य स्तम्भ बच्चें की परिक्रमा लगाते हैं। जैसे आज शान्ति स्तम्भ पर खड़े होते हो, बापदादा आप सभी याद में रहने वाले स्तम्भों के आगे खड़े होते हैं।

12. आप आज के दिन विशेष बाप के कमरे में जाते हो। बापदादा भी हर बच्चे के दिल के कमरे में बच्चों से दिल की बातें करते हैं और

13. आप झोपड़ी में जाते हो। झोपड़ी है दिलवर और दिलरूबा की यादगार। दिलरूबा बच्चों से दिलवर बाप विशेष मिलन मनाते हैं। तो बापदादा भी सभी दिलरूबा बच्चों के भिन्न-भिन्न साज़ सुनते रहते हैं। कोई स्नेह की ताल से साज़ बजाता, कोई शक्ति की ताल से, कोई आनन्द, कोई प्रेम की ताल से। भिन्न-भिन्न ताल के साज़ सुनते रहते हैं। बापदादा भी आप सभी के साथ-साथ चक्र लगाते रहते हैं। तो आज के दिन का विशेष महत्व समझा!

14. आज का दिन सिर्फ स्मृति का दिन नहीं लेकिन ‘स्मृति सो समर्थी’ दिवस है।

15. आज का दिन वियोग वा वैराग का दिन नहीं है लेकिन सेवा की जिम्मेवारी के ताजपोशी का दिन है।

16. समर्थी के स्मृति के तिलक का दिन है।

17. ‘‘आगे बच्चे पीछे बाप’’, इसी संकल्प को साकार होने का दिन है।

18. आज के दिन ब्रह्मा बाप विशेष डबल विदेशी बच्चो को बाप के संकल्प और आह्वान को साकार रूप देने वाले स्नेही बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। कैसे स्नेह द्वारा बाप के सम्मुख पहुँच गये हैं। ब्रह्मा बाप के आह्वान के प्रत्यक्ष फलस्वरूप, ऐसे सर्व शक्तियों के रस भरे श्रेष्ठ फलों को देख ब्रह्मा बाप बच्चों को विशेष बधाई और वरदान दे रहे हैं। सदा सहज विधि द्वारा वृद्धि को पाते रहो। जैसे बच्चे हर कदम में ‘‘बाप की कमाल है’’ यही गीत गाते हैं ऐसे बापदादा भी यही कहते हैं कि - ‘‘बच्चों की कमाल है।’’ दूरदेशी, दूर के धर्म वाले होते भी कितने समीप आ गये हैं। समीप आबू में रहने वाले दूर हो गये हैं। सागर के तट पर रहने वाले प्यासे रह गये हैं लेकिन डबल विदेशी बच्चे औरों की भी प्यास बुझाने वाले ज्ञान गंगायें बन गये। कमाल है ना बच्चों की। इसलिए ऐसे खुशनशीब बच्चों पर बापदादा सदा खुश हैं। आप सभी भी डबल खुश हो ना। अच्छा-

ऐसे सदा समान बनने के श्रेष्ठ संकल्पधारी, सर्व शक्तियों के विल द्वारा विल पावर में रहने वाले, सदा दिलवर की दिलरूबा बन भिन्न-भिन्न साज़ सुनाने वाले, सदा स्तम्भ के समान अचल अडोल रहने वाले, सदा सहज विधि द्वारा वृद्धि को पाए वृद्धि को प्राप्त कराने वाले, सदा मधुर मिलन मनाने वाले देशविदेश के सर्व प्रकार के वैरायटी बच्चों को पुष्प वर्षा सहित बापदादा का यादप् यार और नमस्ते।’’

आज सभी स्नेही विशेष सेवाधारी बच्चों को वतन में बुलाया था। जगत अम्बा को भी बुलाया, दीदी को भी बुलाया। विश्व किशोर आदि जो भी अनन्य गये हैं सेवा अर्थ उन सबको वतन में बुलाया था। विशेष स्मृति दिवस मनाने के लिए सभी अनन्य डबल सेवा के निमित्त बने हुए बच्चे संगम के ईश्वरीय सेवा में भी साथी है और भविष्य राज्य दिलाने की सेवा के भी साथी हैं तो डबल सेवाधारी हो गये ना। ऐसे डबल सेवाधारी बच्चों ने विशेष रूप से सभी मधुबन में आये हुए सहयोगी स्नेही आत्माओं को यादप्यार दी है। आज बापदादा उन्हों की तरफ से याद-प्यार का सन्देश दे रहे हैं। समझा। कोई किसको याद करते, कोई किसको याद करते। बाप के साथ-साथ सेवार्थ एडवांस पुरुषार्थी बच्चों को जिन्होंने भी संकल्प में याद किया उन सभी की याद का रिटर्न, सभी ने याद प्यार दिया है। पुष्पशान्ता भी स्नेह से याद करती थी। ऐसे तो नाम कितने का लेंवे। सभी की विशेष पार्टी वतन में थी। डबल विदेशियों के लिए विशेष दीदी ने याद दी है। आज दीदी को विशेष बहुतों ने याद किया ना। क्योंकि इन्होंने दीदी को ही देखा है। जगत अम्बा और भाउ (विश्व किशोर) को तो देखा नहीं। इसलिए दीदी की याद विशेष आई। वह लास्ट टाइम बिल्कुल निरसंकल्प और निर्मोही थी। उनको भी याद तो आती है लेकिन वह खींच की याद नहीं है। स्वतंत्र आत्मा है। उन्हों का भी संगठन शक्तिशाली बन रहा है। सब नामीग्रामी है ना। अच्छा-

कुछ विदेशी भाई-बहन सेवा पर जाने के लिए बापदादा से छुट्टी ले रहे हैं

सभी बच्चों को बापदादा यही कहते हैं कि जा नहीं रहे हो लेकिन फिर से आने के लिए, फिर से बाप के आगे सेवा कर गुलदस्ता लाने के लिए जा रहे हो। इसलिए घर नहीं जा रहे हो। सेवा पर जा रहे हो। घर नहीं, सेवा का स्थान है - यही सदा याद रहे। रहमदिल बाप के बच्चे हो तो दु:खी आत्माओं का भी कल्याण करें। सेवा के बिना चैन से सो नहीं सकते। स्वप्न भी सेवा के आते हैं ना। आँख खुली बाबा से मिले फिर सारा दिन - बाप और सेवा। देखो बापदादा को कितना नाज़ है कि एक बच्चा सर्विसएबुल नहीं लेकिन इतने सब सर्विसएबुल हैं। एक-एक बच्चा विश्व-कल्याणकारी हैं। अभी देखेंगे कौन बड़ा गुलदस्ता लाता है! तो जा रहे हैं या फिर से आ रहे हैं! बापदादा बच्चों के स्नेह में - ‘‘आओ-आओ’’ के गीत गाते हैं। जैसे-जैसे मास पूरे होते जाते हैं तो बापदादा गीत गाते - ‘‘मधुबन में आओ, मधुबन में आओ। यह गीत सुनाई देता है ना! तो ज्यादा स्नेह किसका हुआ? बाप का या आपका! अगर बच्चों का स्नेह ज्यादा रहे तो बच्चे सेफ हैं। महादानी, वरदानी, सम्पन्न आत्मायें जा रहे हैं, अभी अनेक आत्माओं को धनवान बनाकर, सजाकर बाप के सामने ले आना। जा नहीं रहे हो लेकिन सेवा कर एक से तीन गुना होकर आयेंगे। शरीर से भला कितना भी दूर जा रहे हो लेकिन आत्मा सदा बाप के साथ है। बापदादा सहयोगी बच्चों को सदा ही साथ देखते हैं। सहयोगी बच्चों को सदा ही सहयोग प्राप्त होता है। अच्छा- ओम् शान्ति-

प्रश्न:- किसी भी बात की उलझन, मन में उलझन पैदा न करे उसका साधन क्या है?

उत्तर:- समर्थ बाप को सदा साथी बनाकर रखो तो कैसी भी उलझन वाली बात में मन उलझन में नहीं आयेगा। बड़ी बात छोटी, पहाड़ भी राई हो जायेगा। बस सदा याद रहे कि मेरा बाबा, मेरी सेवा, जो बाप का सो मेरा, जो बाप का कर्म वह मेरा कर्म, जो बाप के गुण वह मेरे गुण। गुण, संस्कार, श्रेष्ठ कर्म जब सारी प्रापर्टी के मालिक हो गये, जो बाप की वह आपकी हो गई तो सदा खुशी रहेगी, कभी भी कोई उलझन मन को उलझायेगी नहीं। अच्छा - ओम् शान्ति।